अमेरिकी सरकार ने बिटकॉइन को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 मार्च, 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करके “स्ट्रैटेजिक बिटकॉइन रिजर्व” बनाने की घोषणा की। यह रिजर्व उन बिटकॉइन से भरा जाएगा, जो पहले से ही सरकार के पास अपराधिक केस या कानूनी प्रक्रियाओं के दौरान जब्त किए गए हैं। व्हाइट हाउस के क्रिप्टो एडवाइजर डेविड सैक्स के मुताबिक, इसका मकसद बिटकॉइन को अमेरिकी संपत्ति के रूप में मान्यता देना है। शुरुआत में नए बिटकॉइन खरीदने की कोई योजना नहीं है, जिससे क्रिप्टो बाजार में निराशा देखी गई।
बिटकॉइन की कीमत पर असर (Market Impact)
इस घोषणा के तुरंत बाद बिटकॉइन की कीमत 5% गिरकर 85,000 डॉलर तक पहुंच गई। हालांकि, अगले दिन यह 89,200 डॉलर तक वापस उछल गई। एसएंडपी ग्लोबल के डिजिटल एसेट एक्सपर्ट एंड्रयू ओ’नील का कहना है, “यह फैसला प्रतीकात्मक है, क्योंकि सरकार नए बिटकॉइन नहीं खरीद रही।” कैप्रिओल इन्वेस्टमेंट्स के चार्ल्स एडवर्ड्स ने इसे “पिग इन लिपस्टिक” बताया, यानी सिर्फ पुराने बिटकॉइन को नया नाम दे दिया गया है।
White House Crypto Summit: क्रिप्टो उद्योग का बड़ा दिन
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में पहली बार “क्रिप्टो समिट” आयोजित की गई। इस इवेंट में कॉइनबेस, बिनेंस, और एथेरियम फाउंडेशन जैसी कंपनियों के प्रमुख शामिल हुए। ट्रंप ने यहां रिजर्व की औपचारिक घोषणा करते हुए कहा, “बिटकॉइन अमेरिका की डिजिटल ताकत बनेगा।” हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह रिजर्व टैक्सपेयर्स को कैसे फायदा पहुंचाएगा। सैक्स ने बताया कि सरकार बिटकॉइन बेचेगी नहीं, बल्कि इसे “डिजिटल फोर्ट नॉक्स” में सुरक्षित रखेगी।
Digital Asset Stockpile: एथेरियम, XRP का भी भंडार
बिटकॉइन के अलावा, सरकार एक “डिजिटल एसेट स्टॉकपाइल” भी बनाएगी। इसमें एथेरियम (ETH), एक्सआरपी (XRP), सोलाना (SOL), और कार्डानो (ADA) जैसी क्रिप्टोकरेंसी शामिल होंगी। सैक्स के मुताबिक, सरकार इन्हें खरीदेगी नहीं, बल्कि जब्त किए गए टोकन को स्टोर करेगी। पिछले हफ्ते ट्रंप ने इन कॉइन्स के नाम लेते ही उनकी कीमतों में 10-15% की उछाल आई थी।
बिजनेस और राजनीति का कनेक्शन (Controversies)
ट्रंप का यह फैसला विवादों से भी घिरा है। उनके परिवार ने हाल ही में “TrumpCoin” और “MAGA Token” जैसे मीम कॉइन लॉन्च किए हैं। साथ ही, ट्रंप की कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल में क्रिप्टो ट्रेडिंग सर्विसेज भी हैं। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि यह फैसला क्रिप्टो उद्योग को अनुचित फायदा पहुंचाने वाला है। हालांकि, ट्रंप के सहयोगियों का दावा है कि उन्होंने अपने बिजनेस का कंट्रोल दूसरों को सौंप दिया है।
भविष्य की रणनीति (Future Plans)
इस आदेश के मुताबिक, ट्रेजरी और कॉमर्स डिपार्टमेंट को अतिरिक्त बिटकॉइन खरीदने के लिए “बजट-न्यूट्रल” योजनाएं बनाने का अधिकार दिया गया है। सैक्स के अनुसार, सरकार के पास फिलहाल 200,000 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत लगभग 17 अरब डॉलर है। पिछले 10 साल में सरकार ने 195,000 बिटकॉइन सिर्फ 366 मिलियन डॉलर में बेच दिए, जो आज 17 अरब डॉलर के होते। इस नुकसान से बचने के लिए अब बिटकॉइन को रिजर्व में रखा जाएगा।
क्रिप्टो कानूनों में बदलाव (Regulatory Shifts)
ट्रंप प्रशासन ने क्रिप्टो उद्योग के लिए कई राहतें भी दी हैं। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने कॉइनबेस और बिनेंस के खिलाफ चल रहे केस वापस ले लिए हैं। साथ ही, क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए नए टैक्स नियम भी प्रस्तावित किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका को “क्रिप्टो सुपरपावर” बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
बिटकॉइन का भविष्य (Long-Term Vision)
बिटकॉइन की सप्लाई 21 मिलियन कॉइन्स तक सीमित है, जिसे कई लोग “डिजिटल सोना” मानते हैं। ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि यह रिजर्व भविष्य में अमेरिकी कर्ज चुकाने में मदद कर सकता है। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि बिटकॉइन की कीमतों में उतार-चढ़ाव इसे अविश्वसनीय बनाता है। फिलहाल, बिटकॉइन का मार्केट कैप 1.7 ट्रिलियन डॉलर के पार है, जो अमेरिकी सोने के भंडार का लगभग 10% है।
निष्कर्ष: क्रिप्टो का नया युग? (Conclusion)
ट्रंप का यह फैसला क्रिप्टो दुनिया के लिए एक मील का पत्थर है। अमेरिका पहली बार बिटकॉइन को सरकारी संपत्ति मान रहा है, जो भविष्य में अन्य देशों के लिए उदाहरण बन सकता है। हालांकि, अभी कई सवाल बाकी हैं: रिजर्व का मैनेजमेंट कौन करेगा? कीमत गिरने पर क्या होगा? क्या यह सिर्फ क्रिप्टो उद्योग को फायदा पहुंचाने का तरीका है? इन सबके जवाब आने वाले समय में मिलेंगे। फिलहाल, क्रिप्टो प्रेमियों के लिए यह एक उत्साहवर्द्धक खबर है!
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